जीती भूमि गवा डाली हमने पड़कर अनुबंधों में
अब की बार नहीं पड़ जाना आपस के इन द्वंदों में
आओ सत्ता भार सौंप दें राष्ट्र भक्तों के कन्धों पे
देश को स्वर्णिम विकास के शिखर तलक ले जाना होगा
कीचड़ चारों ओर बहुत है अब तो सभी जगह कमल खिलाना होगा !
-श्री राधाकांत पाण्डेय
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